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अयोग्य हुए 20 आप विधायक, भाजपा पर बरसे आप नेता

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आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता की समाप्ति पर राष्ट्रपति ने फाईनल मुहर लगा दी है. विधि मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में राष्ट्रपति के हवाले से कहा गया कि निर्वाचन आयोग द्वारा व्यक्त की गई राय के समबन्ध में दिल्ली विधानसभा के 20 सदस्यों को अयोग्य करार दिया गया है. आप विधायकों को संसदीय सचिव नियुक्त किया गया था और इस पद को याचिकाकर्ता ने लाभ का पद बताया था.
आप के सभी 20 विधायकों ने चुनाव आयोग की सिफारिश को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, लेकिन न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने कोई अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया था.

अयोग्य करार दिए गए ‘आप’ के 20 विधायक –

  1. आदर्श शास्त्री
  2. अलका लांबा
  3. संजीव झा
  4. कैलाश गहलोत
  5. विजेंदर गर्ग
  6. प्रवीण कुमार
  7. शरद कुमार चौहान
  8. मदन लाल
  9. शिव चरण गोयल
  10. सरिता सिंह
  11. नरेश यादव
  12. राजेश गुप्ता
  13. राजेश ऋषि
  14. अनिल कुमार बाजपेई
  15. सोम दत्त
  16. अवतार सिंह
  17. सुखबीर सिंह
  18. मनोज कुमार
  19. नितिन त्यागी
  20. जरनैल सिंह

आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने यहां शनिवार को कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में देश की संवैधानिक संस्थाओं की विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे हैं. हर जगह इंसाफ का गला दबाने की कोशिश की जा रही है.

उन्होंने कहा, ‘यह कितना दुखद है कि अभी हाल ही में चार सर्वोच्च न्यायाधीशों को मीडिया के सामने आकर कहना पड़ा है कि लोकतंत्र खतरे में है.’

आम आदमी पार्टी ने नेता गोपाल राय ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘राष्ट्रपति ने 20 विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी है, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है. अभी न्याय के लिए हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. चुनाव आयोग ने पक्षपातपूर्ण फैसला किया है. हम भाजपा के हर षड्यंत्र के खिलाफ लड़ने को तैयार हैं.’

संजय सिंह ने शनिवार को वीवीआईपी गेस्ट हाउस में आयोजित प्रेसवार्ता में निर्वाचन आयोग द्वारा आप के बीस विधायकों को अयोग्य ठहराने के फैसले पर सवाल उठाए और उम्मीद जताई कि सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई में पार्टी को इंसाफ मिलेगा. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी को अदालत के इंसाफ पर पूरा भरोसा है.
उन्होंने गुजरात से लाए गए निर्वाचन आयुक्त ए.के. जोति पर वार करते हुए कहा कि उनका रिटायरमेंट तीन दिन बाद होने वाला है। वफादारी दिखाने के लिए जाते-जाते वह बीजेपी एजेंट की तरह काम करते हुए यह असंवैधानिक फैसला कर गए.

संजय ने आरोप लगाया कि जोति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपने पुराने रिश्तों का ख्याल रखा. मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो जोति उनके मुख्य सचिव थे.

उन्होंने वफादारी कई मौकों पर दिखाई है. आयोग में उनके आते ही ईवीएम संदिग्ध होने लगी. अगर उनका सहयोग न मिलता तो, इस बार बीजेपी को गुजरात की सत्ता मिलना मुश्किल था.

सिंह ने आप के संसदीय सचिवों का नियुक्ति पत्र दिखाते हुए कहा कि इसमें साफ लिखा है कि किसी भी प्रकार से इन्हें सरकारी सुविधा उपलब्ध नहीं होगी. जब इन विधायकों को बतौर संसदीय सचिव बनाए जाने पर कोई सुविधा दी ही नहीं गई, तो यह लाभ का पद कैसे हो गया?
उन्होंने कहा कि इस तरह किया जा रहा है, जैसे सिर्फ आप ने ही संसदीय सचिव बनाए हों। पहले से ही संसदीय सचिवों के कई मामले हैं. वर्ष 2006 में दिल्ली में ही शीला दीक्षित की सरकार के कार्यकाल में 19 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया गया और जब उनके लाभ के पद की बात उठी, तो उन्होंने इस मामले में पूर्व से लागू होने वाले फैसले के तौर पर राष्ट्रपति से मंजूरी ले ली.

आप सांसद ने कहा कि इसी तरह झारखंड और छत्तीसगढ़ में कई संसदीय सचिव बनाए गए। उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया और जब सवाल उठा तो पूर्व से प्रभावी कानून बनाकर बाधा दूर कर ली गई.
हरियाणा में चार विधायकों को संसदीय सचिव बनाया गया. मामला अदालत गया तो उनकी बतौर संसदीय सचिव नियुक्त रद्द हुई, मगर बतौर विधायक सदस्यता नहीं गई.

संजय सिंह ने चुनाव आयोग पर सवाल करते हुए पूछा है कि लाभ के पद के तौर पर उठाए गए सभी सुविधाओं और लाभ की सारी जानकारी दे. उन्होंने अपने विधायकों को ईमानदार बताते हुए कहा कि उन्होंने जो भी लाभ उठाए है उनकी डिटेल्स दे दी जाए. वहीं उन्होंने देश के हालात को आपातकाल जैसा बताया.
https://youtu.be/TxTeBnmbxqE