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नज़रिया – क्या भावी ब्यूरोक्रेसी को संघ के एजेंडे के तहत लाने की साजिश हो रही है ?

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इस ख़बर से हमे वाक़ई चिंतित होने की जरूरत है क्योकि देश के भावी ब्यूरोक्रेसी को अपने एजेंडे के तहत लाने की साजिश हो रही हैं
यूपीएससी एग्जाम में चुने जाने के बाद सभी अभ्यार्थियों को तीन महीने का फाउंडेशन कोर्स कराया जाता है. अभी तक फाउंडेशन कोर्स शुरू होने से पहले ही कैडर और सेवा क्षेत्र तय कर दिया जाता है.
लेकिन अब इस व्यवस्था में परिवर्तन किया जा रहा है नई प्रस्‍तावित व्‍यवस्‍था के तहत पीएमओ ने डीओपीटी को एक प्रस्‍ताव भेजा है, जिसमें फाउंडेशन कोर्स के बाद कैंडिडेट्स का कॉडर और सर्विस आवंटित करने की बात कही गई है. प्रस्‍ताव में कहा गया है कि कैंडिडेट्स को सिविल सर्विस परीक्षा और फाउंडेशन कोर्स में मिले अंकों के जोड़ के आधार पर मेरिट लिस्‍ट तैयार की जाए. इसी मेरिट लिस्‍ट के आधार पर कैंडिडेट्स को कॉडर और सर्विस आवंटित किया जाए.
यानी एक रिव्यू कमेटी अलग बनेगी जो फाउंडेशन कोर्स में अपना हिसाब से सवाल सेट करेगी ओर जांचेगी कि किस अभ्यर्थी की क्या मानसिकता है , ओर उसे किस जगह भेजना उचित होगा, उसे किस पद पर बैठाया जाए यानी लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के अंक से भी यह डिसाइड नही होगा कि यह बन्दा आईएएस के लायक है या आईआरएस के.
इस व्यवस्था से सबसे अधिक दलित और आदिवासी वर्ग प्रभावित होंगे उन्हें एक तरह से अलग ही छांट दिया जाएगा ऐसा करके सरकार मनपसंद कैंडिडेट्स को अपनी मनपसंद जगह तैनात करने की कोशिश करेगी.
पत्रकार मित्र Sunil Singh Baghel ने व्यापम घोटाले का राज फाश करने मे बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी उनका मानना है कि ‘दरअसल व्यापम घोटाला और कुछ नहीं था.. बल्कि यह भी पश्चिम बंगाल के वामपंथियों की तर्ज पर मध्यप्रदेश में RSS के कैडराइजेशन के प्रोजेक्ट का एक हिस्सा था।
सरकार सेवा सुधार के नाम पर अब नई योजना ला रही है। इसके अनुसार UPSC पास करने वाले को आईएएस-आईपीएस या और क्या पद मिलेगा यह UPSC की रैंक से नहीं 3 महीने के फाउंडेशन कोर्स के बाद तय होगा’
पीएमओ चाहता है कि भेजे गए प्रस्‍ताव पर कार्रवाई पूरी करते हुए इसी वर्ष से लागू कर दिया जाए. 17 मई को भेजे गए इस पत्र में ब्रांच को अपना पक्ष रखने के लिए एक सप्‍ताह का समय दिया गया है. पूरे सिस्टम को अपनी तरह से मोल्ड किए जाने की तैयारी की जा रही है यह बेहद खतरनाक साबित होगा