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क्या है राहुल गांधी के बढ़ते ग्राफ़ की वजह

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गुजरात चुनाव के रंग में सब रंगे है,प्रधानमंत्री,केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, गुजरात के विधायकों के से लेकर तमाम भाजपा नेता सभी के सभी चुनाव को अपनी रणनीति पर लड़ रहे है,और वो रणनीति है कांग्रेस के खिलाफ बोलकर माहौल बनाना और अपने एजेंडा को मजबूत करना,वो क्या है ये खुद एक अलग बहस है,और हो भी क्यों न भाजपा इस मामले पर है बहुत ईमानदार,लेकिन क्या भाजपा इसमे कामयाब भी होगी?
सवाल का जवाब बहुत उलझ गया है क्योंकि भाजपा भी शायद इसे उलझाने में लगी है , ऐसा इसलिए भी लग रहा है कि भाजपा कांग्रेस को “डिफेंड” कराने में लगी है, यानी जिस तरह का अंदाज़ भाजपा के तमाम नेता कांग्रेस के नाम पर राहुल के लिए इस्तेमाल कर रहें है उससे वो कांग्रेस पर “अटैक” कर रहें है,अब हालात आपको ये लग रहे होंगे की राहुल कमज़ोर हो गए है? लेकिन थोड़ा ठहरिए और गौर करिये इस लेख की पहली पंक्ति ओर जहां भाजपा के तमाम नेताओं की लिस्ट है जो सिर्फ राहुल के खिलाफ प्रचार के लिए गुजरात मे अड़े है,क्या आप राहुल को कमज़ोर मानेंगे? नही राजनीतिक ऐतबार भाजपा जाने अनजाने में राहुल का कद खुद बढ़ा रही है,और हो न हो कांग्रेस के लिए ये संजीवनी है.
क्योंकि कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नही है,वो सबसे बुरे दौर से गुज़र गयी है और एक आंकलन को समझे और ध्यान दे तो चलिये मानते ह भाजपा जीत गयी,लेकिन इसी बात को उलट कर देखें और कांग्रेस जीत जाएं तो? चौंकिए मत,हार्दिक पटेल,अल्पेश ठाकोर के अलावा अब जिग्नेश के प्रति भी कांग्रेस का “सॉफ्ट” रवय्या इतना तो तय कर गया है कि भाजपा से इस बार मुक़ाबला होगा,बिल्कुल अखाड़े जैसा,और अखाड़े में एक को तो हारना ही होता है तो वो “भाजपा” भी हो सकती है,और अगर ऐसा होता है या ऐसा किसी के दिमाग मे भी आना भाजपा के खुद के उरूज के लिए खतरे की बात है क्योंकि जिसको वो “पप्पू” समझ रही है वो उन्हें बराबर मुक़ाबला दे रहा है और वो भी अकेला दे रहा है ये बड़ी बात है।
इसके पीछे वजह भी है,क्योंकि राहुल के मन्दिर जाने से लेकर,उनके “हिन्दू” होने तक और उनकी दादी(इंदिरा) जी तक बीच मे लाकर भाजपा जिस तरह “निगेटिव” पॉलिटिक्स कर रही है,ये बात भाजपा को नुकसान भी पहुंचा सकती है और ऐसा होना सियासत में नए मोड़ की तरह है। मगर खेल किस वक़्त क्या से क्या हो जाये ये कहना आसान नही है,मगर ये गुजरात चुनाव भाजपा के सामने चुनोतियाँ पेश करता है और क्या ये चुनाव राहुल को “युवराज” बनाता है ये देखने वाली बात जरूर होगी।