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सीमेंट मज़दूरों के खून से डालमिया ग्रुप के हाथ रंगे हुए हैं – अमरेश मिश्र

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लालकिला जबसे डालमिया ग्रुप को ठेके पर दिया गया है, तब से ही इसे ठेके पर देने का विरोध तरह तरह से हो रहा है. आर कोई मोदी सरकार के इस फ़ैसले की आलोचना कर रहा है. इसी कड़ी में ताज़ा नाम जुड़ा है, लेखक और इतिहासकार अमरेश मिश्र का. अमरेश मिश्र ने 1991 के एक गोलीकांड का ज़िक्र किया है. जिसमें सीमेंट मजदूरों पर गोली चलाई गईं थीं. अमरेश मिश्र ने ये सारी बातें अपनी फ़ेसबुक पोस्ट के ज़रिये कहीं हैं.
आईये देखें क्या कहते हैं अमरेश मिश्र
वह दो जून 1991 का दिन था. दोपहर के तक़रीबन 4.30 बजे थे. यूपी एमपी की सीमा से सटे उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जनपद के डाला में सीमेंट मजदूरों का पिछले कई दिनों से चल रहा शांतिपूर्ण आन्दोलन चक्का जाम में बदल चुका था.
यह मजदूर प्रदेश की मुलायम सिंह यादव की सरकार द्वारा भारी घाटे में चल रहे उत्तर प्रदेश सीमेंट निगम की डाला, चुर्क,चुनार तीनो इकाइयों को महज 55 करोड़ रूपए में डालमिया इंडस्ट्रीज को बेचने के फैसले का विरोध कर रहे थे.
अचानक जैसे सब कुछ ठहर सा गया. सैकड़ों की संख्या में मौजूद पुलिसकर्मियों ने निहत्थे मजदूरों पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी. पांच से सात हजार की आबादी वाला एक छोटा सा क़स्बा तक़रीबन आधे घंटे तक गोलियों की आवाज से थरथरा उठा.
एक दर्जन मजदूर मरे, पुलिस की गोलियों से एक कवि मरा, मेरा एक दोस्त राकेश मर गया, मेरा और मेरे अन्य दोस्तों का बचपन मर गया, मेरा क़स्बा मर गया.  यही डालमिया हरामखोर अब लाल किला खरीद चुका है. वक्त है कि डाला के शहीदों के नाम पर इस सरकार और डालमिया की ईट से ईट बजा दी जाए.