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बहुत छोटा रहा संसद का शीत सत्र

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शुक्रवार को राज्यसभा स्थगित होते ही संसद का शीतकालीन सत्र खत्म हो गया और इसी के साथ बहुप्रतीक्षित तीन तलाक बिल भी अब अगले बजट सत्र तक लटक गया.बिल को लोकसभा में बीते हफ्ते ही मंजूरी मिल गई थी लेकिन राज्यसभा में सरकार कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के विरोध और मांग के कारण राज्यसभा में बिल पास नहीं करा सकी. बता दें कि राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत न होने की वजह से तीन तलाक बिल का रास्ता मुश्किल ही माना जा रहा था।

काफी छोटा शीत सत्र

यह सत्र काफी छोटा रहा.लोकसभा में कुल 13 बैठकें हुईं जो 61 घंटे और 48 मिनट तक चलीं। सत्र के दौरान निचले सदन में 16 सरकारी विधेयक पेश किए गए और 12 विधेयक पारित हुए। राज्यसभा का सत्र भी अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया.यहां पर अंतिम दिन तक लगातार प्रयास के बावजूद सरकार के तीन तलाक पर ऐतिहासिक बिल पास नहीं करा सकी.
 हंगामे की भेंट चढ़े 15 घंटे
सुमित्रा महाजन ने बताया कि 15 दिसंबर 2017 को आरंभ हुए सोलहवीं लोकसभा के तेरहवें सत्र में व्यवधानों और उसके परिणाम स्वरूप स्थगनों के कारण 14 घंटे और 51 मिनट का समय नष्ट हुआ तथा सभा ने 8 घंटे 10 मिनट देर तक बैठकर विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की. इस सत्र के दौरान महत्वपूर्ण वित्तीय, विधायी और अन्य कार्य निपटाए गए.वर्ष 2017..18 के लिये अनुदान की अनुपूरक मांगों के दूसरे और तीसरे बैच के बारे में छह घंटे से अधिक चर्चा हुई और इसके बाद इन्हें मतदान के लिये रखा गया एवं संबंधित विनियोग विधेयक पारित किये ग.
सत्र के दौरान पारित होने वाले महत्वपूर्ण विधेयकों में केंद्रीय सड़क निधि संशोधन विधेयक 2017, स्थावर संपत्ति अधिग्रहण और अर्जन संशोधन विधेयक 2017, दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्य क्षेत्र विधियां विशेष उपबंध दूसरा संशोधन विधेयक 2017, माल एवं सेवाकर राज्यों को प्रतिकर संशोधन विधेयक 2017, मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2017, उच्च एवं उच्चतम न्यायालय न्यायाधीश वेतन एवं सेवा शर्त संशोधन विधेयक 2017 शामिल हैं.
रोजाना औसतन 3 ही सवाल पूछे गये
इस सत्र के दौरान 280 तारांकित प्रश्न सूचीबद्ध किए गए जिनमें 45 प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिए गए. इस दौरान औसतन प्रतिदिन लगभग 3.46 प्रश्नों के उत्तर दिए गए. शेष तारांकित प्रश्न उत्तरों के साथ सभा पटल पर रखे गए. लोकसभा अध्यक्ष ने बताया कि सदस्यों ने प्रश्नकाल के पश्चात और शाम देर तक बैठकर लगभग 198 अविलंबनीय लोक महत्व के मामले उठाए. सदस्यों ने नियम 377 के अधीन 226 मामले भी उठाए. स्थायी समितियों ने सभा में 53 प्रतिवेदन प्रस्तुत किए.
सभा में दक्षिण भारत में ओखी चक्रवात के विशेष संदर्भ में देश के विभिन्न भागों में प्राकृतिक आपदाओं के बारे में नियम 193 के अधीन एक अल्पकालिक चर्चा भी हुई. चर्चा गृह मंत्री राजनाथ सिंह के जवाब के साथ पूरी हुई. अन्य विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर मंत्रियों ने 55 वक्तव्य दिए और संसदीय कार्य मंत्री ने सरकारी कार्य के बारे में 2 वक्तव्य दिए. सत्र के दौरान 2,255 पत्र सभापटल पर रखे गए.
98 निजी विधेयक पेश
गैर सरकारी सदस्यों के कार्य के अंतर्गत विभिन्न विषयों पर सदस्यों ने 98 निजी विधेयक पेश किए. विंसेंट एच पाला की ओर से पिछले सत्रों के दौरान पेश किए गए संविधान की छठी अनुसूची संशोधन विधेयक 2015 पर विचार किए जाने के प्रस्ताव को 29 दिसंबर 2017 को आगे चर्चा के लिए लिया गया. चर्चा उस दिन पूरी नहीं हुई .
जहां तक गैर सरकारी सदस्यों के संकल्पों का संबंध है, विभिन्न रक्षा स्थापनों के समीप स्थित भवनों के जीर्णोद्धार के संबंध में गोपाल शेट्टी की ओर से पेश संकल्प पर 22 दिसंबर 2017 को आगे चर्चा हुई और उसी दिन शाम को सभा की अनुमति से इसे वापस ले लिया गया. राघव लखनपाल की ओर से 22 दिसंबर 2017 को जनसंख्या नियंत्रण पर एक सख्त नीति के कार्यान्वयन के बारे में एक अन्य संकल्प पेश किया गया और इस पर आंशिक चर्चा हुई.