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अब 5 की बजाय 4 दिन के होंगे टेस्ट मैच

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अब तक टेस्ट मैच हमेशा 5 दिवसीय होते थे, लेकिन आज पहली बार इस फॉर्मेट में बबदलाव हो रहा है. आज पोर्ट एलिजाबेथ में दक्षिण अफ्रीका और जिम्बाब्वे के बीच खेले जाने वाले पहले चार दिवसीय टेस्ट के नियम काफी अलग होंगे.
ये होंगे नये नियम 
4 दिन तक चलेगा मैच: दक्षिण अफ्रीका और जिम्बाब्वे के बीच होने वाला ये मुकाबले 4 दिन तक खेला जाएगा। आमतौर पर कोई भी टेस्ट मैच 5 दिन तक खेला जाता है लेकिन आईसीसी इस मैच को एक प्रयोग की तरह ले रही है और ऐसा टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में पहली बार होगा.
समय में होगी तब्दीली : खेल के पहले दोनों सत्र दो घंटे के बजाय दो घंटे 15 मिनट के होंगे. पहले सत्र के बाद लंच ब्रेक के बजाय 20 मिनट का चाय काल होगा. दूसरे सत्र के बाद 40 मिनट का डिनर ब्रेक होगा
डे-नाइट खेला जाएगा मैच: 4 दिन तक खेला जाना वाला ये टेस्ट मैच डे-नाइट होगा। दक्षिण अफ्रीका के समय के मुताबिक ये मैच दोपहर डेढ़ बजे शुरू होकर रात 9 बजे तक खेला जाएगा। वहीं भारतीय समयानुसार ये मुकाबला शाम 5 बजे से शुरू होगा। अगर गेंदबाजी करने वाली टीम तय समय तक ओवर पूरे नहीं कर पाती तो उन्हें आधे घंटे का अतिरिक्त समय दिया जाएगा.
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गुलाबी गेंद से होगा मैच: आईसीसी नियमों के मुताबिक अगर कोई भी टेस्ट मैच डे-नाइट होता है तो उसमें गुलाबी गेंद का उपयोग किया जाता है। आमतौर पर टेस्ट मैच लाल गेंद से खेले जाते हैं लेकिन डे-नाइट टेस्ट गुलाबी गेंद से खेला जाता है और इस मैच में भी गुलाबी गेंद का इस्तेमाल किया जाएगा।
फॉलोऑन के नियम: इस मुकाबले के लिए फॉलोऑन के नियमों में भी बदलाव किया गया है। इस मैच में नये फॉलोऑन नियम के मुताबिक कोई भी टीम तभी फॉलोऑन दे सकेगी जब उसके पास 150 रनों की बढ़त होगी। जबकि पांच दिन तक खेले जाने वाले मैच में कोई भी टीम 200 या इससे ज्यादा रनों की बढ़त के बाद ही फॉलोऑन दे सकती है।
एक दिन में फेंके जाएंगे 98 ओवर: इस मैच में एक दिन में कुल 98 ओवर फेंके जाएंगे. आपको बता दें कि पांच दिन तक खेले जाने वाले मैचों में एक दिन में 90 ओवर फेंके जाते हैं। लेकिन इस चार दिवसीय मुकाबले में एक दिन में कुल ओवरों की संख्या 98 होगी.
1972-73 के बाद 4 दिन का टेस्ट: यह 1972-73 के बाद पहला टेस्ट मैच होगा, जिसके लिए 4 दिन का कार्यक्रम तय किया गया है. उससे पहले तक टेस्ट मैच तीन से 6 दिनों तक खेले जाते थे. कुछ टेस्ट मैच में तो समय की कोई पाबंदी नहीं होती थी और उन्हें ‘टाइमलेस’ टेस्ट कहा जाता था.